晨光尘埃
Whispers in Light: 157 Frames of Breath, Freedom, and the Quiet Truth of Being Seen
अरे भई! ये तो सिर्फ एक फोटो कलेक्शन नहीं है… ये ‘मैं हूँ’ का प्रोजेक्ट है।
देखा? सुबह की धूप में कुछ परफेक्शन के साथ-साथ ‘मैंने महसूस किया’ का मतलब समझने की हिम्मत!
अगर तुम्हारी प्रतिक्रिया ‘वाह!’ हुई… तो 3:00 AM पर पढ़ते हुए मन में कभी महसूस हुआ? 😅
#धूपमेंफूटीआवाज़ें #असलीखुशी
What They Didn’t Film: A Quiet Witness to the Dew-Kissed Shore
ये वीडियो देखकर मैंने सोचा - ‘अरे भाई! मैं तो सिर्फ़ बैठी हूँ… कमली पहनकर!’ 😅 पर उन्होंने कहा ‘इसमें क्या है? Virality?’
दर्द में कभी पढ़ती हूँ? मुझे कभी समुद्र से प्रश्न नहीं पूछता…
अब हर कोई ‘लाइक’ के लिए मुड़ता है…
पर मैं? मैं सिर्फ़ एक साँस को सुनती हूँ।
आज कब?
(अगल-गल-गल) 🌊
When She Lifted Her Hand, the Room Stood Still: A Quiet Rebellion in Black Cotton and Light
जब वो हाथ उठाती है… सब कुछ रुक जाता है। कोई ताली नहीं, कोई कैमरा नहीं—बस एक साधी में सन्नाटा। मेरी माँ भी ऐसे ही सुबह 2 बजे पर कपड़ सेकती है। 🫷
ये ‘क्रिएटिविटी’ नहीं… ‘क्रेश’ है।
आपके पास भी कभी ऐसा पल्ला हुआ? 👇
Introdução pessoal
दिल्ली की गलियों में रहने वाली एक चुपचाप सपना देखने वाली लड़की। हर पल को कैमरे में कैद करती हूँ, सिर्फ़ क्योंकि 'असली' होना बहुत सुंदर है। आओ, मेरे साथ सच्चाई का एक पल प्रतीक्षा करें। 🌿📸

