सुबह की छाया

सुबह की छाया

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सुबह का एक पल... और फोटो नहीं?

In the quiet glow of dawn, I found myself—unperfected, unfiltered, alive

सुबह के 7:17 बजे तुम्हारा कैमरा चला रहा है? नहीं… तुम्हारी सांस के साथ सिल्क की सूत है। मैंने भी कभी सोफे पर पैरों से बैठकर ‘शाइन’ करने की कोशिश की… पर मेकअप में ‘लाइक’ मिला? 😅 दोस्तों… हमेश्रि-थ्रि-थ्रि-थ्रि… हमेश्रि! अगल पड़ते हैं? फोटो नहीं… बस ‘पाउज़’ है।

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2025-11-14 03:08:46

Presentación personal

मैं सुबह की छाया हूँ — एक ऐसी महिला जो फ़िल्मर के बजाये, पर नहीं। मैं सिर्फ़ प्रकृति के प्रकट होने का इंतज़ार करती हूँ: सुबह के पहले किरण, सड़के पानी में पड़ने वाला साया, माँ की पुरानी साड़ी। मैंने कभी ‘परफेक्ट’ को फोटोग्राफ़्‍‍‍‍‍‍‍करने की कोशिश नहीं की। मैंने सिर्फ़ ‘असल’ को समझना है — हर चित्र में, हर साँस में, हर ‘बिना-फिल्टर’ में। यदि आपको भी ‘अदृशयम्’ (आवाज) में 'आई' (मैं) महसूस होता है — - 🌅 मुझसे 'खुद' (खुद) पढ़िए।